धन्य हो भारतेंदु
धन्य हो नरेन्द्र देव
धन्य हो मदन मोहन मालवीय
आपने हिन्दी का जो वृक्ष लगाया, बोया, सींचा।
छाँह, फल, शाखा, फूल भूलकर .....
हिन्दी वाले ही काट रहे हैं।
हाय इस वृक्ष की विडम्बना,
जैसे वृक्ष लगाया गया ही इस लिए की इसे काटा जा सके।
Sunday, September 13, 2009
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