Friday, April 10, 2009

विवशता

रावण के दरबार में सभी देवता पराधीन - सूर्य, चंद्र, वरुण, कुबेर।
शक्तिशाली, बलशाली फ़िर भी कायर से हताश, पर कमज़ोर नहीं।
रावण आज भी विवशता का रूप लिए हम देवों पर हावी, क्यों??

आम जनता

अपने जीवन में जीने की जद्दोजहद करती हरी घास
कदमो के नीचे मखमली अहसास कराती हरी घास।
गरीबी की रेखा के नीचे साँस लेती हरी घास।
आवारा पशुओ द्वारा चरी जाती हरी घास।
अपनी अस्मिता के लिए लड़ती हरी घास ।
पददलित होने के लिए जन्मती हरी घास।

Sunday, April 5, 2009

भोली जनता से अपील

आज जंगल राज में फ़िर वोट का मौसम आया,
भोली मासूम जनता तुझे फ़िर ये छलने आया !
गिरगिट के रंग देख फ़िर ना विश्वास डगमगाए,
इन घरियाल के आंसू पर अब तू ना तरस खाए!
बगुलाभगत बन तेरी भावनाओं से फ़िर न खेले,
गिध्ह तेरे विवशता को न पैनी दृष्टि से देखे!
अगर नही सोचा तूने तो कुत्ते की मौत मरेगा,
वही भेरिया बन तेरी बोटी से पेट भरेगा!
अभी समय है तोता चश्मों की पहचान तू कर ले,
एक दिन के ताकत का हित में इस्तेमाल करले !!

गाँधी के तीन बन्दर

गाँधी के तीन बन्दर कभी प्रतीक थे बुरा ना देखने, बुरा ना सुनने और बुरा ना कहने के। आज सन्दर्भ बदल चुके हैं। वही तीन बन्दर प्रतीक हैं - शोषण के खिलाफ आवाज़ न उठाओ - मुह बंद रक्खो, अत्याचार जहाँ हो रहा हो वहां मत देखो - आँख बंद रक्खो और दर्द की चीख से कान विदीर्ण ना हो जायें तो कान बंद रक्खो। तीन बन्दर बने रहेंगे, सन्दर्भ बदलते रहेंगे और हम अपनी बानरी प्रुवर्ती नहीं छोडेंगे।