Monday, March 2, 2009

जन गण मन का अर्थ

हमारा राष्ट्रीय गान हमारी अस्मिता और आत्म सम्मान का प्रतीक है। यह देश वासियों को देश के प्रति कुछ करने का जोश देता है। इस राष्ट्रीय गान के प्रति कई भ्रांतियां हैं जिसे सुन या पढ़ कर दुःख होता है जब लोग कहते हैं की इसे रवींद्र नाथ टगोर ने George V की प्रशंसा में लिखा था। वास्तव में १८७८ में रवींद्र नाथ ने जातियो शौन्गीतो नाम का संकलन लिखा उसी पुस्तक में पाँच पद में लिखी गयी स्वदेश नाम की कविता भारत माता की प्रशंसा में लिखी गई थी। इसी कविता का पहला पद हमारा राष्ट्रीय गान है जो अत्यन्त सरल शब्दों में लिखा गया ताकि उसे समस्त भारत वासियों के द्वारा आसानी से गाया जा सके बाकी पद अत्यन्त कठिन शब्दों से युक्त हैं शायद इसी लिए इसे राष्ट्रीय गान में नही रखा गया। जब George V भारत आए तब भारत माँ के सम्मान में टगोर ने अपनी यह कविता पढ़ी। अधिनायक शब्द से लोगों ने यह ग़लत प्रचार किया की यह शब्द George V के लिए है जबकि यह शब्द भारत के प्रत्येक नागरिक जो स्वयं अपने भाग्य को बनाने वाले अधिनायक हैं उनकी जय जय कार की गई है।